परिक्रमा
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ओंकारेश्वर में
श्रद्धालु कामनापूर्ति
के लिए नर्मदा
जल लेकर भगवान
ओंकारेश्वर एवं
मान्धाता पर्वत
की परिक्रमा करते
हैं. यह करीब ७ किलोमीटर
की परिक्राम है
परिक्रमा पथ में
कई मंदिर एवं पुरातत्व
महत्व के स्मारक
आते हैं जहाँ दर्शन
करने का नियम है.
इनमे से कुछ निम्नानुसार
हैं.
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ऋण मुक्तेश्वर
मंदिर
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यह मंदिर कावेरी
और नर्मदा के द्वितीय
एवं अंतिम समागम
पर स्थित है .जैसा
की नाम से ही जाहिर
है की जो भी भक्त
यहाँ श्रद्धाभाव
से चने की दाल चढ़ाता
है उसे इस जन्म
एवं पूर्वजन्म
के ऋणों से छुटकारा
मिल जाता है एसी
मान्यता है.
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गौरी सोमनाथ मंदिर
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यह तारे के आकार
का अत्यंत ही सुन्दर
वास्तुकला वाला
मंदिर है. यहाँ
विशाल काय ६ फुट
ऊँचा चमकदार काले
पत्थर से निर्मित
शिवलिंग है. शिवलिंग
अत्यंत ही पुराना
है एवं इसी के सामान
काले पत्थर की
नंदी की प्रतिमा
भी मंदिर के बहार
स्थित है. ब्रिटिश
कर्नल जेम्स टोड
के अनुसार इस मंदिर
को मध्यकाल में
औरंगजेब द्वारा
खंडित किया गया
था.
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सिद्धनाथ मंदिर
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वास्तुकला की दृष्टि
से यह काफी प्रभावशाली
मंदिर है.इस मंदिर
को ब्रिटिश लोर्ड
कर्जन द्वारा संरक्षित
स्मारक घोषित किया
गया था.यह द्वीप
के पठारी भाग में
स्थित है इसे एक
विशाल न्याध्रार
से आधार दिया गया
है जिसके चारों
ओर विभिन्न मुद्राओं
में ५० हाथियों
की मूर्तियां गढ़ी
गयी हैं. ये मूर्तियां
५ फुट ऊँची हैं
एवं एवं श्रेष्ठ
कला का नमूना हैं.
इनमे से २ नागपुर
के संग्रहालय में
संरक्षित है एवं
शेष आंशिक या अधिक
रूप से क्षतिग्रस्त
हो चुकी हैं. मंदिर
का केंद्रीय हिस्से
में ४ ओर से प्रवेश
की व्यवस्था है
एवं अद्वितिय सभा
मंडप भी बने है
हर सभामंडप में
१४ फुट ऊंचाई के
१८ पठार के खम्भे
हैं जिनपर सुन्दर
आकृतियाँ उकेरी
गयी हैं. अपने मूल
स्वरुप में यह
अवश्य ही एक प्रभावशाली
५ शिखरों वाला
भव्य मंदिर रहा
होगा.
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आशापुरी देवी मंदिर
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सदियों से मान्धाता
क्षेत्र राव परिवार
द्वारा संचालित
रहा है. आशापुरी
मंदिर राव परिवार
की कुलदेवी एवं
प्राचीन जनजाति
की पूज्य देवी
का मंदिर है. इस
मंदिर की देव प्रतिमा
अत्यंत ही सुन्दर
है. यहाँ सभी विधि
विधान के साथ नियमित
पूजन किया जाता
है.
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चाँद सुरज एवं
एवं भीम अर्जुन
द्वार
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परिक्रमा पथ में
आने वाले ये अत्यंत
ही प्राचीन अवशेष
हैं, ऐसा प्रतीत
होता है की ये किसी
प्राचीन सभ्यता
के भवन के अवशेष
हैं.
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ओम्कारेश्वर